एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि shiv chalisa lyricsl भेद नहिं पाई॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
क्षमहु नाथ अब shiv chalisa lyricsl चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥